Jyotish Vidhya Vrat katha

शनिदेव की कथा और व्रत विधि: शनिदेव की महिमा

Shani Dev katha in  Hindi

शनिदेव के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण इन्द्रनीलमणी के समान है। शनिदेव का वाहन गीध तथा रथ लोहे का बना हुआ है। ये अपने हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। शनिदेव यह एक-एक राशि में तीस-तीस महीने रहते हैं। यह मकर व कुम्भ राशि के स्वामी हैं तथा शनिदेव महादशा 19 वर्ष की होती है।

Shani Dev Vrat Katha

Shani Dev Vrat Katha

Shani Dev Vrat Katha In Hindi || शनि देव की कथा

Post Name Shani Dev Vrat Katha
Category Jyotish
Portal www.jyotishvidhya.in
Post Date 13/01/2022

कैसे करे शनिदेव को प्रसन्न। कैसे करे शनिदेव का आशीर्वाद?

शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं। इनकी पत्नी के श्राप के कारण इनकी द्रष्टिमे क्रूरता रहती है। शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे। इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया। इनकी पत्नि सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थीं। एक बार पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से वे शनिदेव के पास पहुचीं पर शनिदेव श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे। शनिदेव ध्यानमे इतने मग्न थे की उनको उनके आसपास क्या हो रहा है उसका उनको कोई ज्ञान नहीं था। । पत्नि प्रतिक्षा कर थक गयीं तब क्रोधित हो उसने इन्हें शाप दे दिया कि आज से शनिदेव की द्रष्टि जिस पर पड़ेगी वह चीज नष्ट हो जाएगी। जब शनिदेव का ध्यान भंग हुआ तो उन्होने अपनी पतनिकों समाजने का काफी प्रयास किया लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था तभी से शनि देव ने अपना सर जुका लिया,क्यूकी वह नहीं चाहते थे की उनकी दृष्टिसे किसिका अनिष्ट हो।

आज हम आपको बताएँगेकी कैसे करे शनिदेव को प्रसन्न?

शनिदेव मंत्र
शनिदेव का मंत्र– “ऊँ शं शनैश्चराय नम:”
इस मंत्र का व्यक्तिको श्रद्धानुसार रोज एक निश्चित संख्या में जाप करना चाहिए।
शनिवार का व्रत आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं लेकिन इस व्रतको श्रावण मास में प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है ।

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शनि व्रत कथा विधि

ऐसे करे शनि व्रत
शनि व्रत का करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहितपूजाकरनी चाहिए। शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।
शनिवार के दिन शनिदेव के व्रत के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए दिल से क्षमा याचना करनी चाहिए। जो जातक शनि देव की पूजा करता है उसे पूजा के बाद राहु और केतु की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।

शनि देव की द्रष्टि

शनिदेव की तीसरी,सातवी और दसवी द्रष्टि है।

shani dev upay शनि देव के उपाय

Shani Dev ki Kripa ka upay:

शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवर के दिन पिपलके पेड़ के नीचे सारसोके तेल का दिया करे।
काले तिल, काली उड़द, काला छाता और लोहे आदि का दान करे।

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