दस योग जो कराते हैं आदमी को विदेश यात्रा || जन्मकुंडली में विदेश यात्रा के योग, जानें कब और कैसे पूरा होगा आपका यह सपना
लोग विदेश यात्रा या विदेश में बसने का सपना देखते हैं लेकिन हम सभी जानते हैं कि इस सपने को पूरा करना हमारे हाथ में नहीं होता है। आपने कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि किस्मत में होगा तो विदेश जाने का भी मौका मिल जाएगा। किस्मत की ये बात कुंडली के ग्रहों और उनकी कुछ विशेष स्थिति पर निर्भर करती है।
जन्मकुंडली में विदेश यात्रा के योग, जानें कब और कैसे पूरा होगा आपका यह सपना
Post Name | जन्मकुंडली में विदेश यात्रा के योग |
Cayegory | Jyotish |
Portal | www.Jyotishvidhya.in |
Post Date | 18/03/2022 |
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में विदेश यात्रा के योग हों तो उसे किसी ना किसी कारण से विदेश जाने का मौका मिल ही जाता है। ज्योतिष की मानें तो जब तक आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के योग नहीं है तब तक इस दिशा में आपके सारे प्रयत्न विफल हो जाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि कब किसी जातक को विदेश यात्रा का सुख मिलता है और कैसे।
बारहवां भाव
जन्मकुंडली का बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होता है और इस वजह से दुख का भाव होने के बावजूद भी इस घर को सुअवसर के रूप में देखा जाता है। विदेश यात्रा के लिए चंद्रमा को नैसर्गिक कारक माना गया है। दशम भाव से आजीविका का पता चलता है। शनि ग्रह आजीविका के नैसर्गिक कारक होते हैं। विदेश गमन के लिए कुंडली में बारहवें भाव, चंद्रमा, दशम भाव और शनि की स्थिति का आंकलन किया जाता है।
आजकल विदेश यात्रा और विदेशों में काम करने को एक सुअवसर के रूप में देखा जाता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण में देखें तो हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रहयोग ही हमारे जीवन में विदेश से जुड़कर काम करने या विदेश यात्रा का योग बनाते हैं।
हमारी जन्मकुंडली में बारहवें भाव का सम्बन्ध विदेश और विदेश यात्रा से जोड़ा गया है इसलिए दुःख भाव होने पर भी आज के समय में कुंडली के बारहवे भाव को एक सुअवसर के रूप में देखा जाता है। चन्द्रमा को विदेश यात्रा का नैसर्गिक कारक माना गया है। कुंडली का दशम भाव हमारी आजीविका को दिखाता है तथा शनि आजीविका का नैसर्गिक कारक होता है अत: विदेश यात्रा के लिये कुंडली का बारहवां भाव, चन्द्रमा, दशम भाव और शनि का विशेष महत्व होता है। जानिए कुंडली में कौन से योग कराते हैं विदेश यात्रा।
- यदि चन्द्रमा कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो तो विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग होता है।
- चन्द्रमा यदि कुंडली के छठे भाव में हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
- चन्द्रमा यदि दशवें भाव में हो या दशवें भाव पर चन्द्रमा की दृष्टि हो तो विदेश यात्रा योग बनता है।
- चन्द्रमा यदि सप्तम भाव या लग्न में हो तो भी विदेश से जुड़कर व्यापार का योग बनता है।
- शनि आजीविका का कारक है अतः कुंडली में शनि और चन्द्रमा का योग भी विदेश यात्रा या विदेश में आजीविका का योग बनाता है।
- यदि कुंडली में दशमेश बारहवें भाव और बारहवें भाव का स्वामी दशवें भाव में हो तो भी विदेश में या विदेश से जुड़कर काम करने का योग होता है।
- यदि भाग्येश बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी भाग्य स्थान (नवेंभाव) में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
- यदि लग्नेश बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है।
- भाग्य स्थान में बैठा राहु भी विदेश यात्रा का योग बनाता है।
- यदि सप्तमेश बारहवें भाव में हो और बारहवें भाव का स्वामी सातवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर व्यापार करने का योग बनता है।
कुंडली में चौथा और बाहरवें घर या उनके स्वामियों का संबंध यानी उस घर में स्थित राशि के स्वामी से विदेश में स्थायी रूप से रहने का सबसे बड़ा योग बनता है। इस योग के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव आवश्यक है। यानी उस घर में कोई भी पाप ग्रह स्थित हो या उसकी दृष्टि हो। इसके साथ ही कुंडली में अच्छी दशा होना भी अनिवार्य है। बहरहाल जानते हैं कुंडली में विदेश यात्रा का योग किन परिस्थितियों में बनता है..
- सप्तम और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का परस्पर सम्बन्ध जातक को विवाह के बाद विदेश लेकर जाता है। अगर येयोग कुंडली में हो तो व्यक्ति किसी विदेशी मूल के व्यक्ति से शादी करने के बाद वीजा पाने में सफलता मिलती है।
- पंचम और बाहरवें भाव के साथ उनके स्वामियों का संबंध शिक्षा के लिए विदेश जाने का योग बनता है। इस योग में जातक पढ़ने के लिए विदेश जा सकता है।
- दसवें और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का संबंध व्यक्ति को विदेश से व्यापार या नौकरी के अवसर देता है।
- चतुर्थ और नवम भाव का संबंध जातक को पिता के व्यापार के कारण या पिता के धन की सहायता से विदेश ले जा सकता है।
- नवम और बाहरवें भाव का संबंध व्यक्ति को व्यापार या धार्मिक यात्रा के लिए विदेश ले जा सकता है। इस योग में जातक का पिता भी विदेश व्यापार या धार्मिक वृतियों से सम्बन्ध रखता है।
- लग्नेश सप्तम भाव में हो तो भी जातक विदेश जा कर रह सकता है।
- राहु और चन्द्रमा का योग किसी भी भाव में हो जातक को अपनी दशा में विदेश या जन्म स्थान से दूर ले कर जा सकता है।
प्रश्न कुंडली से विदेश यात्रा का निर्णय
कई बार मेरे पास लोग विदेश यात्रा का प्रश्न लेकर तो आते हैं लेकिन उनके पास अपने जन्म का सही विवरण नही होता है, ऐसे में मुझे प्रश्न कुंडली का सहारा लेना होता है और व्यक्ति के सवालों का उत्तर देना होता है। आइए प्रश्न कुंडली के योगों को जानें।
- यदि प्रश्न कुंडली के लग्न में चर राशि स्थित है और चर राशि ही नवांश के लग्न में हो या द्रेष्काण के लग्न में आती हो तब व्यक्ति का प्रश्न विदेश से संबंधित हो सकता है और अगर उसका प्रश्न जाने के लिए है तब वह विदेश जा सकता है।
- यदि प्रश्न कुंडली का लग्नेश, आठवें या नवम भाव में स्थित हो तब भी विदेश से संबंधित प्रश्न हो सकता है और व्यक्ति जा सकता है।
- प्रश्न कुंडली के लग्न, सातवें व नवम भाव में शुभ ग्रह प्रश्नकर्ता की इच्छा की पूर्ति बताते हैं।
- प्रश्न कुंडली के लग्न, सातवें व नवम भाव में पापी ग्रह प्रश्नकर्त्ता की विदेश यात्रा में परेशानियों का अनुभव बताते हैं।
- प्रश्न कुंडली के आठवें भाव में शुभ ग्रह हों तब विदेश में पहुंचने पर व्यक्ति विशेष को लाभ मिलता है।
- प्रश्न कुंडली के सातवें भाव में सूर्य स्थित हो तब व्यक्ति विदेश से शीघ्र वापस आएगा।
- प्रश्न कुंडली के नवम भाव में मंगल स्थित हो तब विदेश यात्रा में व्यक्ति के सामान की हानि हो सकती है और यदि मंगल आठवें भाव में हो तब चोट अथवा दुर्घटना का भय रहता है।
- प्रश्न कुंडली के सातवें भाव में मंगल स्थित हो तब व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होने की संभावना बनती है।
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