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राशि या कुंडली (horoscope)  के अनुसार कौन से भगवान या देवी की करनी चाहिए पूजा?

हर एक जातक के मन में यह सवाल होता है कि उसे कौन से ग्रह (planet) की या कौन सी देवी देवता की पूजा करनी चाहिए। कहीं बार ऐसा देखने को मिलता है कि लोग अपनी कुंडली (horoscope) दिखाकर ज्योतिष (astrologer) से यह प्रश्न पूछते हैं कि हमारी कुलदेवी कौन सी है?  हमारा कुलदेवता कौन सा है? हमें कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए? ज्योतिष(astrology) के अनुसार हम इसलिए भगवान या किसी देवी देवता की पूजा करते हैं क्योंकि वह हमारा रक्षण करती है। हमारी मनोकामनाओं को सिद्ध करने का आशीर्वाद भी हमें देवी देवताओं से प्राप्त होता है।

राशि या कुंडली के अनुसार कौन से भगवान या देवी की करनी चाहिए पूजा?

Post Name राशि या कुंडली के अनुसार कौन से भगवान या देवी पूजा?
Category  horoscope
Portal  Jyotishvidhya.in
Post Date  26/11/2021

ज्यादातर लोग अपनी देवी या देवता की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके मन में जो मनोकामना है उस मनोकामना ओं की सिद्धि हो। आज हम आपके मन में उठे जाने वाले यह प्रश्न कि आपको कौन सी देवी या देवता की पूजा करनी चाहिए जिससे आपको आपकी मनोकामना ओं की सिद्धि मिलेगी इसके बारे में जानने का प्रयास करेंगे।

राशि या कुंडली के अनुसार कौन से भगवान या देवी की करनी चाहिए पूजा?

राशि या कुंडली के अनुसार कौन से भगवान या देवी की करनी चाहिए पूजा?

ज्यादातर ज्योतिषियों का यह मानना है कि कुंडली के प्रथम भाव (first house), पंचम भाव ( fifth house), और नवम भाव (9th house) के देवता की पूजा करनी चाहिए।

प्रथम भाव (first house)  यानी कि लग्न, भाव पंचम भाव और नवम भाव को कुंडली के केंद्र भाव माना जाता है। केंद्र में स्थित राशियों के स्वामी अगर शुभ स्थान में विराजमान होंगे तो जातक को उसका शुभ फल प्राप्त होगा। ऐसा माना जाता है कि प्रथम भाव पंचम भाव और नवम भाव में स्थित राशियों के स्वामी के देवी या देवता की पूजा हमें करनी चाहिए।

हमारा यह मानना है कि कुंडली का  ग्यारहवां भाव जिसको (11th house) हम लाभ स्थान बोलते हैं। यह भाव जातक की मनोकामना को सिद्ध करता है।  कुंडली का ग्यारहवां भाव ( Eleventh house) लाभ स्थान कहा जाता है और इससे जातक को अपने जीवन में लाभों की प्राप्ति होती है। जब भी किसी की कुंडली का अभ्यास किया जाता है तब हम कुंडली के ग्यारहवें भाव( Eleventh house) के स्वामी को देखते हैं अगर ग्यारहवें भाव( Eleventh house)का स्वामी यानी कि लाभ स्थान का स्वामी कुंडली के त्रिकोण भाव में या केंद्र भाव में विराजमान है तो जातक को अच्छा लाभ प्राप्त होगा।

कुंडली के ग्यारहवें भाव ( Eleventh house)को यानी के लाभ स्थान से जातक अपनी मनोकामना को सिद्ध करता है। मनोकामना को पूर्ण करता है। अगर हम यह मानकर चलें की कुंडली के लाभ स्थान से जातक की मनोकामना ओं की सिद्धि होती है तो लाभ स्थान में विराजमान राशि  स्वामी के देवी या देवता की पूजा करने से अवश्य ही जातक की मनोकामना की सिद्धि होगी।

इसलिए हमारा यह मानना है कि अगर कुंडली के लाभ स्थान में स्थित राशि स्वामी की देवी या देवता की पूजा करनी चाहिए। लाभ स्थान यानी की कुंडली के ग्यारहवें भाव में स्थित राशि स्वामीके देवता की पूजा करनी है ना कि उसमें स्थित किसी ग्रह की पूजा करनी है।

एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।

समझो कि किसी जातक की कुंभ (Aquarius) लग्न की कुंडली है। इस जातक की कुंडली के ग्यारहवें  भाव ( Eleventh house) यानी के लाभ स्थान में व्रुश्चिक (Scorpio) राशि स्थित होगी। जातक के लाभ स्थान में वृश्चिक (Scorpio) राशि स्थित है और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल (Mars planet) ग्रह है। मंगल ग्रह(Mars planet) के हम हनुमान जी या गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।

इस जातक को अपनी मनोकामना ओं की सिद्धि के लिए या तो अपने कार्य को अच्छी तरह से पूर्ण करने के लिए हनुमान जी या गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।

इस तरह से हर एक राशि की देवी देवताओं की पूजा करने से जातक की मनोकामना ओं की सिद्धि होती है।

कुंडली के ग्यारहवें भाव ( Eleventh house) में स्थित भिन्न-भिन्न राशि देवताओं के अनुसार जातक को उन देवी देवता की पूजा करने से उनकी उपासना करने से उनकी मनोकामना ओं की सिद्धि होती है। हम यह जानते हैं कि कुंडली के ग्यारहवें भाव में स्थित भिन्न-भिन्न राशियों के राशि स्वामीके अनुसार कौन से देवी या देवता की उपासना आपको करनी चाहिए जिससे जातक को अपने मनोकामना ओं की सिद्धि प्राप्त हो।

कुंडली के ग्यारहवें भाव ( Eleventh house) में स्थित राशियों के अनुसार कौन से देवी या देवता की पूजा करे? 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में सिंह राशि ( leo)  

कुंडली के ग्यारहवें भाव में यानी के लाभ स्थान में सिंह (Leo) राशि है। सिंह (Leo) राशि का स्वामी सूर्यदेव है। इस जातक को भगवान राम की पूजा करनी चाहिए। अगर यह जातक भगवान राम की पूजा करेगा तो उसकी मनोकामना ओं की सिद्धि होगी।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में कर्क ( Cancer ) राशि।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में यानी के लाभ स्थान में कर्क ( cancer) राशि स्थित है तो कर्क ( Cancer)  राशि का स्वामी चंद्रमा है। इस जातक को भगवान कृष्ण भगवान की पूजा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण की पूजा करने से इस जातक की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में मेष (Aries) या वृश्चिक ( Scorpio) राशि।

जातक की कुंडली के ग्यारहवें भाव में मेष या वृश्चिक ( Scorpio) राशि है। मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल देव है। ऐसे जातक को भगवान गणेश या हनुमान जी  की पूजा करनी चाहिए।

कुंडली के ग्यारहवें मिथुन (Gemini) या कन्या ( virgo) राशि।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में यानी कि लाभ स्थाn में मिथुन या कन्या राशि विराजमान है। मिथुन और कन्या राशि का स्वामी बुध (Mercury) है। ऐसे जातक को भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए। जातक अगर भगवान नारायण की पूजा करेगा तो अवश्य ही उसको मनोकामना सिद्धि की प्राप्ति होगी।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में धन (Sagittarius)  या मीन (Pisces) राशि।

अगर कुंडली के ग्यारहवें भाव में धन या मीन राशि विराजमान है। धन और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति ( Jupiter) है। ऐसे जातक को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में वृषभ ( Taurus)  या तुला ( Libra) राशि।

जिस जातक की कुंडली के ग्यारहवें भाव में व्रुशभ या तुला राशि स्थित है ऐसे जातक को देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। वृषभ और तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है इसलिए ऐसे जातक को शुक्रवार का व्रत रखकर माता लक्ष्मी की अगर वह पूजा करेगा उनकी उपासना करेगा तो जातक को अवश्य ही सिद्धि की प्राप्ति होगी।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में मकर ( Capricorn) या कुंभ  (Aquarius) राशि।

 कुंडली के ग्यारहवें भाव में अगर मकर या कुंभ राशि विराजमान है तो मकर और कुंभ राशि का स्वामी शनि Saturn है ऐसे जातक को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

किस देवता की या किस देवी की पूजा किस तरह से करनी चाहिए इसकी जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट की मुलाकात लेते रहिए।

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