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[New] ग्रहों का दिशाबल, दिग्बल ( direction strength of planet )

ज्योतिष (astrology) के अनुसार हर एक ग्रह (planet) को अपना बल (Strength) प्रदान होता है। ग्रह (Planet) जिस भाव में बैठा है, जिस स्थान में बैठा है, या तो उस ग्रह(Planet) पर अन्य किसी ग्रह (Planet) की दृष्टि होती है उसके आधार पर ग्रहों (Planet) का अपना बल(Strength) होता है।

[New] ग्रहों का दिशाबल, दिग्बल ( direction strength of planet )

Post Name ग्रहों का दिशाबल, दिग्बल
Category  horoscope
Portal  Jyotishvidhya.in
Post Date  26/11/2021

हर ग्रह को छः प्रकार के बल प्राप्त होते हैं।जो इस प्रकार है।

१. स्थान बल

२. दिग्बल

३. काल बल

४.  नैसर्गिक बल

५ चेष्टा बल

६ दृष्टि बल

कोई ग्रह ( Planet) अपनी उच्च राशि में विराजमान हैं या सो गई है तो उस ग्रह (Planet) को स्थान बल प्राप्त होता है।

कोई ग्रह अपनी दिशा में विराजमान है तो उसे दिग्बल,दिशा बल (Direction strength) प्राप्त होता है।

जातक का जन्म रात (Night) को हो तो जातक को चंद्र (moon) शनि (saturn) मंगल (mars) का काल बल प्राप्त होता है। जातक का जन्म दिल को हो तो जातक को सूर्य (sun) शुक्र (Venus) और बुध(Mercury) का बल प्राप्त होता है।

ज्योतिष (Astrology) में अगर नैसर्गिक बल के बारे में विचार करें तो शनि(Saturn)< मंगल(Mars) < बुध (Mercury)< गुरु (Jupiter) < शुक्र (Venus) < चंद्र (Moon) < सूर्य(Sun) एक दूसरे से बलवान होते हैं।

किसी ग्रह पर दूसरे ग्रह की शुभ दृष्टि हो इस ग्रह को दृष्टिबल प्राप्त होता है।

आज के टॉपिक में हम ग्रहो के दिग्बल , दिशाबाल (direction strength of planets) के बारे में विचार करेंगे।

ज्योतिष के अनुसार कुंडली के कुल बारह भाव  होते हैं। इन 12 भावो में  प्रथम भाव (first house), चतुर्थ भाव (Fourth house), सप्तम भाव (seventhe house) एवं दशम भाव ( Tenthouse) को कुंडली का केंद्र स्थान माना जाता है।

कुंडली के प्रथम भाव (First house) की दिशा पूरब East Direction) दिशा और सप्तम भाव ( Seventh house) की दिशा पश्चिम दिशा ( West Direction)  होती है और उसी तरह से कुंडली की चतुर्थ भाव (Fourth house) की दिशा उत्तर दिशा (North Direction) और दशम भाव ( Tenth house) की दिशा दक्षिण दिशा ( south direction) मानी जाती है।

कुंडली के इन दिशाओं (Direction) में स्थित भिन्न-भिन्न ग्रह (Planet) अपनी स्थिति अनुसार दिगबल, दिशाबल ( Direction strength) प्राप्त करता है।

ज्योतिष (Astrology) में हर एक ग्रह(Planet) का अपना स्थानबल, दिगबल जिसे हम दिशाबल (direction strength of planet ) भी कह सकते हैं।

जिस ग्रह को दिशा बल(direction strength of planet ) प्राप्त होता है।  वह ग्रह (planet) अपने आप में बलि हो जाता है। ग्रह (Planet) को अपने स्वभाव (Nature) अनुसार दिशा (Direction) मिलने के कारण ग्रह (Planet) के बल में बढ़ोतरी होती है।

इस तरह से देखें तो केंद्र भाव के नाम से जाने जानेवाले चारों भाव अनुसार सातों ग्रहों को मिलने वाला दिशाबल कुछ इस प्रकार है।

गुरु(Jupiter) और बुध(Mercury) को ,दिशा बल (direction strength)  कुंडली के प्रथम भाव (First house) यानी के लग्न भाव में दिगबल (direction strength) प्राप्त होता है।

चंद्र और शुक्र ग्रह को कुंडली के चतुर्थ भाव में दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त होता है।

शनि ग्रह (Saturn) को कुंडली के सप्तम भाव ( seventh house) में दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त होता है।

सूर्य (sun) और मंगल (Mars) ग्रह को कुंडली के दशम भाव में दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त होता है।

इसी तरह से जो ग्रह अपनी दिशा (Direction) में स्थित होगा उस ग्रह( Planet) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त होता है।

दिगबल ,दिशा बल(direction strength) जिस ग्रह को प्राप्त होती है वह ग्रह काफी हद तक बलवान होकर जातक को उसका शुभ फल प्रदान करता है।

कुण्डली में सूर्य (Sun) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।

अगर जातक की कुंडली में सूर्य (Sun) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक आत्म बलि होता है अपने आप पर बहुत ज्यादा विश्वास होता है। ऐसा जातक अपने कार्य को पूरी दृढ़ता से पूर्ण करता है। जातक अपने समाज के लिए एक अच्छा मार्गदर्शक होने का काम करता है। ऐसा जातक एक बार जो काम हाथ में लेता है उस काम को पूरी दृढ़ता से पूर्ण करने की कोशिश करता है और जब तक अपना काम पूर्ण न करें तब तक वह शांत नहीं बैठता।

कुण्डली में चंद्र (,Moon) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।।

अगर जातक की कुंडली में चंद्र (Moon) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक अपने मन को काबू में रखने वाला होता है। कुंडली में चंद्र (Moon) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक के मन में चाहे कैसे भी विचार आए लेकिन वह अपने मन को काबू में कैसे रखना है यह अच्छी तरह से जानता है।   कुंडली में चंद्र (Moon) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक अपना काम काफी शांतिपूर्ण पूरा करता है और शांत मन वाला भी होता है। कुण्डली में चंद्र( Moon) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक को आभूषणों की प्राप्ति होती है जातक लोगों में बहुत प्रिय होता है तथा उसे समाज में मान मर्यादा और सम्मान की प्राप्ति होती है।

कुण्डली में मंगल (Mars) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।।

अगर जातक की कुंडली में मंगल (Mars) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक काफ़ी साहसिक होता है। मंगल (Mars) को दिशाबल प्राप्त होने पर जातक को सरकार से मान और सम्मान की प्राप्ति होती है।  जिस जातक की कुंडली में दशम भाव में मंगल को दिशा बल प्राप्त होता है ऐसे जातक को दशम भाव से संबंधित बहुत से लाभ होते हैं।

कुण्डली में बुध (Mercury) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।।

कुंडली में बुध ग्रह को प्रथम भाव में दिशा बल प्राप्त होता है।

अगर जातक की कुंडली में बुध (Mercury) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक की वाणी काफी प्रभावशाली होती है।  बुध(Mercury) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक काफ़ी चतुर और होशियार होता है। बुध (Mercury) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक  सुख समृद्धि की प्राप्ति की चाहना रखने वाले होते हैं।

कुण्डली में गुरु (Jupiter) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।।

कुंडली में गुरु ग्रह(Jupiter) को प्रथम भाव में दिशा बल (Direction strength)  प्राप्त होता है।

अगर जातक की कुंडली में गुरु(Jupiter) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक धन समृद्धि से युक्त होता है। गुरु(Jupiter) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो  जातक काफी ज्ञानी एवं ज्ञानी लोगों की संगत में रहने वाला होता है। जातक की कुंडली में गुरु (Jupiter) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो  जातक काफी सुखी होता है। जातक की कुंडली में गुरु (Jupiter) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक जातक काफी विद्वान होता है। जातक की कुंडली में गुरु ( Jupiter) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक शत्रु से भयमुक्त और शत्रु विजय प्राप्त करने वाला होता है।

कुण्डली में शुक्र (Venus) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।।

कुंडली में शुक्र(Venus) ग्रह को चतुर्थ भाव में दिशा बल प्राप्त होता है।

अगर जातक की कुंडली में शुक्र(Venus)को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक काफी सौंदर्यप्रधान होता है। कुण्डली में शुक्र (Venus) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक का रहन सहन काफ़ी उच्च कोटि का होता है। कुण्डली में शुक्र(Venus) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक देश विदेश में मान सम्मान प्राप्त करता है।

 कुण्डली में शनि (saturn) को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो।।

कुंडली में शनि (saturn) ग्रह को सप्तम भाव में दिशा बल प्राप्त होता है।

जातक की कुंडली में शनि(saturn)को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक काफी न्यायप्रिय होता है । जातक की कुंडली में शनि(saturn)को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक ब्राह्मण की सेवा करने वाला होता है।जातक की कुंडली में शनि(saturn)को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक अपने देवी देवताओं की सेवा करने वाला होता है। जातक की कुंडली में शनि(saturn)को दिगबल ,दिशा बल(direction strength) प्राप्त हो तो जातक व्यापारमे निपुण होता है।

इसी प्रकार कुंडली में ग्रहों को प्राप्त अन्य ग्रहों के बल और उससे मिलने वाले फलों की प्राप्ति के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतु हमारी वेबसाइट की मुलाकात लेते रहे।

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